*गुलामगिरी*
ब्राह्मण-पंडा-पुरोहित लोग अपना पेट पालने के लिए, अपने पाखंडी ग्रंथो द्वारा, जगह-जगह बार-बार अज्ञानी शूद्रों को उपदेश देते रहे, जिसकी वजह से उनके दिलों-दिमाग में ब्राह्मणों के प्रति पूज्यबुद्धि उत्पन्न होती रही। इन लोगों को उन्होंने (ब्राह्मणों ने) इनके मन में ईश्वर के प्रति जो भावना है, वही भावना अपने को (ब्राह्मणों को) समर्पित करने के लिए मजबूर किया। यह कोई साधारण या मामूली अन्याय नहीं है। इसके लिए उन्हें ईश्वर के जवाब देना होगा। ब्राह्मणों के उपदेशों का प्रभाव अधिकांश अज्ञानी शूद्र लोगों के दिलो-दिमाग पर इस तरह से जड़ जमाए हुए है कि अमेरिका के (काले) गुलामों की तरह जिन दुष्ट लोगों ने हमें गुलाम बना कर रखा है, उनसे लड़ कर मुक्त (आजाद) होने की बजाए जो हमें आजादी दे रहे हैं, उन लोगों के विरुद्ध फिजूल कमर कस कर लड़ने के लिए तैयार हुए हैं। यह भी एक बड़े आश्चर्य की बात है कि हम लोगों पर जो कोई उपकार कर रहे हैं, उनसे कहना कि हम पर उपकार मत करो, फिलहाल हम जिस स्थिति में हैं वही स्थिति ठीक है, यही कह कर हम शांत नहीं होते बल्कि उनसे झगड़ने के लिए भी तैयार रहते हैं, यह गलत है। वास्तव में हमको गुलामी से मुक्त करनेवाले जो लोग हैं, उनको हमें आजाद कराने से कुछ हित होता है, ऐसा भी नहीं है, बल्कि उन्हें अपने ही लोगों में से सैकड़ों लोगों की बलि चढ़ानी पड़ती है। उन्हें बड़ी-बड़ी जोखिमें उठा कर अपनी जान पर भी खतरा झेलना पड़ता है।
अब उनका इस तरह से दूसरों के हितों का रक्षण करने के लिए अगुवाई करने का उद्देश्य क्या होना चाहिए, यदि इस संबंध में हमने गहराई से सोचा तो हमारी समझ में आएगा कि हर मनुष्य को आजाद होना चाहिए, यही उसकी बुनियादी जरूरत है। जब व्यक्ति आजाद होता है तब उसे अपने मन के भावों और विचारों को स्पष्ट रूप से दूसरों के सामने प्रकट करने का मौका मिलता है। लेकिन जब से आजादी नहीं होती तब वह वही महत्वपूर्ण विचार, जनहित में होने के बावजूद दूसरों के सामने प्रकट नहीं कर पाता और समय गुजर जाने के बाद वे सभी लुप्त हो जाते हैं। आजाद होने से मनुष्य अपने सभी मानवी अधिकार प्राप्त कर लेता है और असीम आनंद का अनुभव करता है। सभी मनुष्यों को मनुष्य होने के जो सामान्य अधिकार, इस सृष्टि के नियंत्रक और सर्वसाक्षी परमेश्वर द्वारा दिए गए हैं, उन तमाम मानवी अधिकारों को ब्राह्मण-पंडा-पुरोहित वर्ग ने दबोच कर रखा है। अब ऐसे लोगों से अपने मानवी अधिकार छीन कर लेने में कोई कसर बाकी नहीं रखनी चाहिए। उनके हक उन्हें मिल जाने से उन अंग्रेजों को खुशी होती है। सभी को आजादी दे कर, उन्हें जुल्मी लोगों के जुल्म से मुक्त करके सुखी बनाना, यही उनका इस तरह से खतरा मोल लेने का उद्देश्य है। वाह! वाह! यह कितना बड़ा जनहित का कार्य है!
संदर्भ : गुलामगिरी (हिंदी अनुवादित ग्रंथ)
- महात्मा ज्योतीराव फुले
Comments
Post a Comment